गुरुवार, 15 अप्रैल 2010

अब तो राधा का प्यार भी कलंकित

प्यार एक ऐसा शब्द जिसको व्यक्त नही किया जा सकता है केवल महसूस किया जा सकता है । सदियो से वही प्रेम अमर है जो पवित्र है । आज हीर-राझां , सोहनी महिपाल , रोमियो जूलियट, की कहानिया अमर है क्योकि इनके प्रेम मे वासना नही थी ।आॅज कल एक विषय बहुत चर्चा मे है वो है लिव इन रेलेशनशिप जिसके तहत कोई भी व्यस्क पुरूष व स्त्री अपनी मर्जी से आपस मे बिना विवाह के साथ-2 रह सकते है उनके रिश्ते को नाजायज नही माना जाएगा और जिसमे उस स्त्री को सारे अधिकार प्राप्त होगे और उनके द्वारा उत्पन्न संतान को भी सारे अधिकार प्राप्त होंगे । माननीय न्यायालय द्वारा इस सम्बन्ध मे राधा और कृष्ण का उदाहरण देते हुए कहा है कि राधा व कृष्ण भी साथ साथ बिना विवाह के रहते थे । माननीय न्यायालय की इस उक्ति से सन्त व साधु समाज के साथ साथ हिन्दु समाज मे भी रोष है । यह सर्व विदित है कि राधा व कृष्ण का प्रेम लौकिक नही था । वह प्रेम अलौकिक था । उस प्रेम मे विषय वासना नही थी । वह प्रेम प्राणी मा़त्र के लिए संभव ही नही है। यही कारण है कि आज युगो बीत जाने के बाद भी राधा व कृष्ण का प्रेम अमर है । इस बात को कोई प्रमाण नही है कि राधा व कृष्ण साथ साथ रहते थंे । राधा कृष्ण से उम्र मे बढी़ थी। राधा के विवाह के बाद व कृष्ण के द्वारिका जाने के बाद इस बात का कोई जिक्र नही आया कि वे कभी मिले हो।
लिव इन रिलेशनसिप भारतीय सभ्यता के अनुरूप नही है । भारत सदेैव से पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय रहा है । जब सारी सभ्यता अन्धेरे मे थी तब भारत की सभ्यता विकसित थी । जहां विदेशो से आकर लोग यह खोज कर रहे है कि कैसे एक भारतीय नारी एक ही पुरूष के साथ पूरा जीवन व्यतीत कर लेती है । जहॅां विदेशो मे विवाह जैसे शब्दो का कोई मूल्य ही नही है। वहाॅ तो बिना विवाह के ही महिला पुरूष एक विवाहित जीवन जीते है जहा विवाह जैसी पवित्रता नही हैं । आज उस पश्चिम की बुराई का हम समर्थन करते हुए अनुकरण करना चाह रहे है । इस रिश्ते का समथर्न चलचित्र जगत और समाज का एक वर्गविशेष (एक पूंजीपति वर्ग ) कर रहा है । लेकिन चलचित्र जगत और एक पूॅंजीपति वर्ग पूरा समाज नही है । क्या यह वर्ग इस प्रकार अपने नाजायज और अमर्यादित रिश्ते को सही दर्शाना चाह रहे है । कोई भी सभ्य समाज मे रहने वाला यह नही चाहेगा कि उसकी लड़की या लड़का किसी दूसरे के साथ बिना विवाह के रहे । अतः बुद्धिजीवी वर्ग से अनुरोध है कि वे इसका विरोध करे । राधा व कृष्ण के प्रेम के साथ तुलना न करे ।
( लेखक के यह विचार पूर्णतः निजी है । किसी को कोई ठेस पहुंची हो तो क्षमाप्रार्थी है।)